मैं जिस देश का नागरिक हूं वह इतना सर्वोत्तम है कि विदेशी भी इसे सबसे अच्छा मानते हैंI इसके उत्तर में हिम मंडित हिमालय की गगनचुंबी चोटिया है समुद्र तीन ओर से इसके चरण पखार रहा है अनेक पवित्र नदियां अपने पवित्र जल से इसके खेतों को मान बढ़ाते है ,केवल यही एक ऐसा देश है जहां छह मौसम सुख शांति देने आती हैंI इस सभ्यता का इतिहास लगभग 5,000 वर्ष पुराना है और इसके दौरान भारत में विभिन्न धर्म, संस्कृति, कला, विज्ञान, और वाणिज्य के क्षेत्र में विकास हुआ है। भारतीय सभ्यता में कला का विकास एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। भारतीय कला का अस्तित्व संगीत, नृत्य, चित्रकला और वास्तुकला में देखा जा सकता है। इसके अलावा भारतीय सभ्यता में अलग-अलग विद्याओं का विकास भी हुआ है। भारत सबसे प्राचीन राष्ट्र होने के कारण सांसारिक सभ्यता का जनक हैI भारत ने ही मानव को सभ्यता का पहला पाठ पढ़ायाI यहीं से ज्ञान भक्ति और कर्म की त्रिवेणी प्रवाहित हुई थीI मेरा देश अनेक धर्मों और संस्कृतियों का संगम स्थल हैI यह प्राकृतिक दृष्टि से ही नहीं ,कला की दृष्टि से भी महान हैI यहां के प्राचीन वस्तु कला वर्तमान वैज्ञानिकों को विचलि
एक समय की बात है, जब भारत के एक छोटे से गांव में रहने वाले लोग शांतिपूर्ण जीवन जीते थे। हालांकि, एक दिन एक विवादित विषय देश भर में ट्रेंड होना शुरू हुआ, और यह गांव भी प्रभावित हो गया। विषय प्लास्टिक का उपयोग था और कैसे यह पर्यावरण के लिए हानिकारक हो रहा है। लोगों को इस समस्या के बारे में जागरूक करने के लिए कई संगठनों ने अपनी अपील शुरू की थी। इस गांव में भी कुछ लोग थे जो प्लास्टिक के उपयोग से नाराज थे और वे संगठनों का समर्थन करने लगे। लेकिन, एक शख्स ने इस समस्या के बारे में बात नहीं करने के फैसले किए। उसके अनुसार, प्लास्टिक का उपयोग अच्छा हो सकता है अगर इसे ठीक से बरता जाए। लेकिन एक दिन एक बच्चा एक टोकरी लेकर उस गांव में आया। टोकरी में प्लास्टिक के बर्तन थे जो वह बेचने के लिए लाया था। गांव वाले ने उससे कहा कि वह प्लास्टिक के बर्तन नहीं बेच सकता है क्योंकि प्लास्टिक वायु प्रदूषण का कारण बन रहा है। बच्चे को यह बात समझ में नहीं आई। उसने इस मुद्दे पर जानकारी लेने के लिए कुछ लोगों से पूछा। गांव के लोग ने उसे बताया कि प्लास्टिक का उपयोग पर्यावरण के लिए बहुत हानिकारक हो रहा है। इस बात से बच